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Showing posts from August, 2019

तुम्हारी 2 दिन की देशभक्ति

नही, नही आप लोंगो को मना किसने किया है आप लोग करलो देशभक्ति, या तो फिर digital देशभक्ति मुझे पता तो सब पता है ये जो व्हाट्सएप्प, फेसबुक में स्टेटस -स्टेटस और पोस्ट पोस्ट  खेल रहे हो ना आज से शुरू कर दिया है हना, आज स्टेटस अपडेट करोगे कल तिरंगे के साथ सेल्फी लोगे फिर fb में शेयर करोगे फिर परसो के लिए कुछ तो बचेगा नही बचेगा तो group में आये हुए देशभक्ति वाले msg, और बहुत सारी फोटोज जिनको आप लोग ढूंढ ढूंढ कर डिलीट करोगे, इतने में भी आप लोगो को चैन कहा अभी तो आप लोग तिरंगे के झंडे बाजार से लोगो और कल शाम होते होते सब कुछ फेंक के दूर निकल जाओगे । ब मैं तो पिछले 21सालों से ऐसी ही देशभक्ति देख रहा हु जो अनुभव था बता दिया.. मैं तो आप लोगो से दूर रहने वाला हु ..कल शाम होते होते अपनी देशभक्ति साबित करुगा.. मैं हर गली, हर कूचे में जाऊँगा और उस जगह भी जाऊँगा जहाँ आप कैसे देशभक्त रहते हो .. वहाँ जाकर बड़ी ही सिद्दत और गर्व के साथ अपने देश का वह मान खोजुग जो आप लोगो ने फेक दिया होगा या तो नज़र अंदाज़ कर दिया होगा। #स्वच्छ भारत #सोच बदलो देश बदलो मैने अभी जो भी ऊपर बताया है ये सिर्फ...

Between you and kashmir 😭😭😕🙊

सुनिए, आप दिल्ली जा रही  है क्या? वहां आपका फ़ोन चालू हो तो प्लीज मेरी मम्मी को फ़ोन कर दीजिएगा?उनसे कहना मैं बिल्कुल ठीक हु,चिंता न करे।पन्द्रह दिन पहले ही मेरे पिता जी नही रहे। मुझे डयूटी पर लौटना पड़ा।माँ को मेरी चिंता हो रही होगी।' एक कागज के टुकड़े पर बादामी बाग कैंट के पास खड़े जवान ने अपनी माँ और पत्नी का नम्बर लिखकर मुझे दे दिया।जम्मू  लौट कर जब फोन के सिंग्नल मिले तो मैंने उसके घर फोन किया। पता चला उस जवान का बेटा बीमार है और आर्मी हॉस्पिटल में भर्ती है। मैंने उसकी पत्नी से कहा मैं दो दिन बाद फिर लौटूंगी और ये खबर दे दूंगी।लेकिन,उसकी पत्नी ने मना कर दिया।कहा कि उन्हें ये सब मत बताना।  वह  ड्यूटी पर है,परेशान हो जायेगे। पिछले 11दिनों से घाटी में फोन और इंटरनेट पूरी तरह बन्द है। खामियाजा सिर्फ स्थानीय लोगों को नही, उन्हें भी भुगतना पड़ रहा है जो ड्यूटी पर तैनात है।हाथ मे सैटेलाइट फोन है, लेकिन सिर्फ इसलिए कि वह आपनी डयूटी पूरी कर सकें। दस दिनों से वे नही जानते उनके घरों में क्या हो रहा होगा। घर के लोगों को नही पता कि उनके बेटे और पति कैसे हैं। जो खबरे म...

ईद मुबारक ,एक कदम खुशियो की ओर

ईदगाह में नमाज के वक़्त कई हमसफर, हमराही गले मिलेंगे, ईद का शानदार जशन मनायेगे बहुत खुश भी होंगे हो भी क्यों न आखिर साल भर में आने वाला त्योहार जो ठहरा ,और तो और साल में  सिर्फ एक बार ही आता है ऐसे मौके में सबका श्रृंगार, सौंदर्य सातवे आसमान में रहता है... लेकिन इन सबके बीच ईदगाह में कुछ चेहरे होते है जिन्हें ईद की खुशी उतनी ही होती है जितनी औरो को लेकिन फिर भी चेहरे मयूश रहते है वो आपनी मयूशि को छिपाने की लाख कोसिस करते है लेकिन ये मयूशि है जो हरे भरे पेड़ को भी सूखा कर देती है , तो आखिर एक इंसान कैसे छिपा पायेगा, वैसे तो लोग कहते है ईद का त्योहार है बड़ा त्योहार है खुशी का त्योहार है तो ये सब क्यों न है खुश, मयूश क्यों है, चेहरे का रंग उतरा हुआ क्यों है, किसी ने भी जानने की कोसिस न की आज तक शायद, और शायद इसीलिए ईदगाह का वो कोना ऐसे लोगो और चेहरों से भरा रहता है। उनसे जाकर पूछो आखिर ऐसा क्यों है सबका जवाब एक ही होगा कि भाईजान/चाचा या जो भी है आज मैं अपने घर से दूर हु, घर वालों से दूर हु, बीबी बच्चों से दूर हु ,मै यहाँ ईद की नमाज तो पढ़ सकता हु, लेकिन मेरा दिल और दिमाक घर म...