ईदगाह में नमाज के वक़्त कई हमसफर, हमराही गले मिलेंगे, ईद का शानदार जशन मनायेगे बहुत खुश भी होंगे हो भी क्यों न आखिर साल भर में आने वाला त्योहार जो ठहरा ,और तो और साल में सिर्फ एक बार ही आता है ऐसे मौके में सबका श्रृंगार, सौंदर्य सातवे आसमान में रहता है...
लेकिन इन सबके बीच ईदगाह में कुछ चेहरे होते है जिन्हें ईद की खुशी उतनी ही होती है जितनी औरो को लेकिन फिर भी चेहरे मयूश रहते है वो आपनी मयूशि को छिपाने की लाख कोसिस करते है लेकिन ये मयूशि है जो हरे भरे पेड़ को भी सूखा कर देती है , तो आखिर एक इंसान कैसे छिपा पायेगा,
वैसे तो लोग कहते है ईद का त्योहार है बड़ा त्योहार है खुशी का त्योहार है तो ये सब क्यों न है खुश, मयूश क्यों है, चेहरे का रंग उतरा हुआ क्यों है, किसी ने भी जानने की कोसिस न की आज तक शायद,
और शायद इसीलिए ईदगाह का वो कोना ऐसे लोगो और चेहरों से भरा रहता है।
उनसे जाकर पूछो आखिर ऐसा क्यों है सबका जवाब एक ही होगा कि
भाईजान/चाचा या जो भी है आज मैं अपने घर से दूर हु, घर वालों से दूर हु, बीबी बच्चों से दूर हु ,मै यहाँ ईद की नमाज तो पढ़ सकता हु, लेकिन मेरा दिल और दिमाक घर मे रह गया मैं खुश कैसे रहू ऐसे मौके पर जा मेरे अपने मुझसे दूर है ईद जैसे त्योहार में ,कितनी भी कोशिशे कर लूं नही रह पाते खुस,
हम अगर घर में होते सबसे गले लगते, मा बाप होते, अपनी जान कहने वाले दोस्त होते, मेरे अपने खानदान वाले होते, आज हम एक साथ कई दिनों बाद खाना खाते होते लेकिन मैं यहाँ हु कोइ और किसी दूसरी जगह,
कि काश आज मैं अपने घर मे होता,
मसला छोटा सा है कि ईद में जो भी दिखे अनजान लोग हो या दूर खड़े लोग सबसे जाकर अखलाक के साथ ईद मिले वो कोई अनजान नही है, होंगे वो आपके शहर में मजदुर लेकिन आज वो आपके शहर के मेहमान है उनका ख्याल रखे इस ईद में खुशियां बाँटिये औरो के साथ अल्लाह भी खुश होगा और दुवाएँ भी मिलेगी,
भले ही आप उन्हें अपने घर न ले जाये लेकिन एक बार हाथ बढ़ा कर सीने से लगने में अगर किसी अजनबी के दिल का बोझ कम होता है तो इतना तो कर ही सकते हो
Eid mubarak
ईद मुबारक
12AUG...
लेकिन इन सबके बीच ईदगाह में कुछ चेहरे होते है जिन्हें ईद की खुशी उतनी ही होती है जितनी औरो को लेकिन फिर भी चेहरे मयूश रहते है वो आपनी मयूशि को छिपाने की लाख कोसिस करते है लेकिन ये मयूशि है जो हरे भरे पेड़ को भी सूखा कर देती है , तो आखिर एक इंसान कैसे छिपा पायेगा,
वैसे तो लोग कहते है ईद का त्योहार है बड़ा त्योहार है खुशी का त्योहार है तो ये सब क्यों न है खुश, मयूश क्यों है, चेहरे का रंग उतरा हुआ क्यों है, किसी ने भी जानने की कोसिस न की आज तक शायद,
और शायद इसीलिए ईदगाह का वो कोना ऐसे लोगो और चेहरों से भरा रहता है।
उनसे जाकर पूछो आखिर ऐसा क्यों है सबका जवाब एक ही होगा कि
भाईजान/चाचा या जो भी है आज मैं अपने घर से दूर हु, घर वालों से दूर हु, बीबी बच्चों से दूर हु ,मै यहाँ ईद की नमाज तो पढ़ सकता हु, लेकिन मेरा दिल और दिमाक घर मे रह गया मैं खुश कैसे रहू ऐसे मौके पर जा मेरे अपने मुझसे दूर है ईद जैसे त्योहार में ,कितनी भी कोशिशे कर लूं नही रह पाते खुस,
हम अगर घर में होते सबसे गले लगते, मा बाप होते, अपनी जान कहने वाले दोस्त होते, मेरे अपने खानदान वाले होते, आज हम एक साथ कई दिनों बाद खाना खाते होते लेकिन मैं यहाँ हु कोइ और किसी दूसरी जगह,
कि काश आज मैं अपने घर मे होता,
मसला छोटा सा है कि ईद में जो भी दिखे अनजान लोग हो या दूर खड़े लोग सबसे जाकर अखलाक के साथ ईद मिले वो कोई अनजान नही है, होंगे वो आपके शहर में मजदुर लेकिन आज वो आपके शहर के मेहमान है उनका ख्याल रखे इस ईद में खुशियां बाँटिये औरो के साथ अल्लाह भी खुश होगा और दुवाएँ भी मिलेगी,
भले ही आप उन्हें अपने घर न ले जाये लेकिन एक बार हाथ बढ़ा कर सीने से लगने में अगर किसी अजनबी के दिल का बोझ कम होता है तो इतना तो कर ही सकते हो
Eid mubarak
ईद मुबारक
12AUG...
Comments