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Showing posts with the label आस-पास-कुछ खास

मनमोहन सिंह जी

 मनमोहन सिंह जी एक महान अर्थशास्त्री और राजनेता थे, जिन्होंने भारत के 13 वे प्रधान मंत्री के रूप  में कार्य किया। उनका जन्म 26 सितंबर 1932 को पंजाब के गाह में हुआ था ¹। उनकी शिक्षा पंजाब विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हुई। उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनके राजनीतिक जीवन में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें वित्त मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शामिल हैं ¹। मनमोहन सिंह जी को उनके आर्थिक सुधारों के लिए जाना जाता है, जिन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार के साथ जोड़ा। उन्होंने आयात और निर्यात को भी सरल बनाया और निजी पूंजी को उत्साहित किया ¹। उनके नेतृत्व में भारत ने कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए, जिनमें विदेशी निवेश को बढ़ावा देना, आर्थिक उदारीकरण और व्यापार सुधार शामिल हैं ¹। मनमोहन सिंह जी को कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें पद्म विभूषण, सर्वश्रेष्ठ सांसद और एडम स्मिथ पुरस्कार शामिल हैं ¹। मनमोहन सिंह जी का निधन अभी तक नहीं हुआ है, लेकिन उनकी विरासत भारतीय अर्थव्यवस्था और राजनीत...

स्वर्गीय श्री मनमोहन सिंह जी

 पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी हमारे बीच नहीं रहे, कल रात्रि दिल्ली एम्स के उन्होंने ली अंतिम सांस.... Rip https://whatsapp.com/channel/0029Vb0S3hHFnSzE6YjxIf0S यह मात्र एक मीडिया view है किसी भी पार्टी, व्यक्ति की भावनाओं को आहत होने पर एडवांस  सॉरी 🙃

वो नीची जाति का है

 फिर वही एक पुरानी सोच के साथ एक और कहानी है.. पता नही ये किसके ऊपर है.. परम्परा सोच नादानी या फिर घमंड     खैर कुछ भी हो..मुझे नही पता ये आपको पता लगाना हैै.. कहानी को समझने के लिए पहले उसके किरदार को समझना जरूरी है.. सीता मैम: संस्कृत टीचर, (daughter-in-law ,ownre of our primary school), छोटेलाल: एक दुबला-पतला सा लड़का (हरिजन/दलित समुदाय में से ) संदीप,दीपक, शुभम, वीरू, आदि (क्लासमेट ) बात यही कोई 9-10 साल पुरानी है, जब मै शायद 6-7कक्षा में पढ़ता था. ..उस समय हमारी क्लास में एक छात्र छोटेलाल आया, जो किएक हरिजन समुदाय से था,अब ये समुदाय का मतलब क्या होता है उस समय तक हमे नही मालूम था, हम सब तो आपस में दोस्त थे.. और ज्यादा से ज्यादा हिन्दू-मुशलिम दो ही प्रकार के साथी थे.. इसके अलावा और कोई था नही.. तो जब छोटेलाल आया, पहले तो वो सरकारी स्कूल या आंगनवाड़ी में पढ़ता था तो पढ़ाई में कमजोर होना एक आम बात थी लेकिन जब वह पड़ता नही था तो हमारी  मैम(सीता) पढ़ने आए हो तो पढ़ो, तुम्हे तो यहाँ पर एडमिशन मिल गया है, वरना मिलना नही चाहिए था..  का ताना देेती, और ...

छूआछूत का वहम

अरे! ये क्या.. आपको मना किया था न दहलीज पर बैठने को और आप बैठ गए, बैठे तो बैठे आप हमारी दहलीज में बैठ कर खाना खा रहे है... भूलिये मत आप... हम भाईजान लोग है      ऐसी फटकार लगाते हुए, मेरे पापा ने घर की दहलीज पर बैठे एक दलित मजदूर को बड़ा जोरदार डांट लगाई.. जिससे मैं सहम गया..         दरअसल बात यही कुछ आठ-नौ साल पहले की है लगभग 2010-2011की.. तब मैं कक्षा आठवीं में पढ़ता था.. हमारा घर उस समय बन चुका था लेकिन हम गांव में रहते थे तो गर्मियों के लिए कुछ बड़े कमरे(अटारी वाले) कच्चे ही छोड़ दिये थे, जिससे हम और सभी मुहल्ले वाले गर्मियों की तेज दोपहरी में बैठके में बैठकर गर्मियों की छुट्टियों का मजा ले सके,             अभी गर्मियो की छुट्टी खत्म हुई थी कि बरसात का मौसम शुरू हो चुका था तो कच्चे कमरों में छप्पर की मरम्मत के लिए काम चल रहा था, तब हमारे घर मे हमेशा से मजदूरी करने वाले जो कच्चे घरों की मरम्मत का काम जानते थे जो अपने धर्म मे हिन्दू लेकिन हरिजन(दलित समुदाय) से थे।  जिन्हें हम बचपन से कंधी चाचा कहकर बुलाते थे,...

कुछ खास-2

हम सब जानते है कि, कोई भी घटना उसी समय का परिणाम न होकर निरंतर चलती आ रही सभी छोटी-बड़ी घटनाओं का परिणाम होता है.. चाहे फिर वह कोई भी घटना क्यों न हो... उसी में होती है एक समस्या महिलाओं और लड़कियों पर होने वाली  क्रूरता..       आम तौर पर देखा गया है महिलाओं को उनके बचपन से ही दबाने, उन्हें नीचा दिखाने की कोसिस की जाती है इसके विपरीत पुरुषों का वर्चस्व स्थापित करने की कोसिस की जाती है, इससे मात्र बच्चियों की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव न पड़ कर उन पुरुषों पर भी नकारात्मक प्रभाव, और नकारात्मक मानसिकता का विकास होता है जिनके सम्मुख या जिनके द्वारा या फिर जिनकी तुलना में महिलाओं,/लड़कियों/बच्चियों कमतर समझा जाता है..               ये कहानी या बात जो भी है उन्ही में से एक लड़के की है जो अपनी बचपन की मानसिकता के चलते स्वयं को महिलाओं से शीर्ष पर समझता है..        ये लड़का कुछ समय पहले मिला था और मेरा ही सहपाठी था. हम जिस संस्था में थे वहाँ पर वह मुझसे पहले पहुच चुका था जिसके चलते उसे वहा की ज...

कुछ खास 1

किसी भी बात पर नाम नही बदले जायेगे, बस जगह बदली जा सकती है..                                हमारे आस- पास कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें उस मुहल्ले में गौ कहा जाता है अर्थात ऐसे लोग जो अपने काम से मतलब रखे या फिर वो जो एक दम सीधे-साधे हों, ये खास बात भी उसी तरह के  एक आदमी की है..जो सिर्फ गौ था लेकिन है नही..              15फरवरी2020 की बात है शाम के समय मैं अपने कमरे से निकल कर चाय पीने जा ही रहा था मेंरी नज़र एक आदमी पर पड़ी जिसका घरेलू नाम बच्च्चा है, मैं उसके पास खड़ा हो गया थोड़ा बात हुुुई,लेकिन उसका ध्यान बातों में न होकर सड़क पर था, था क्यों कि सड़क काफी चहल पहल वाली थी, मैैंने सोोचा बात में ध्यान न होोना एक आम बात है और वहां से जानेे लगा ...     तभी वहां से एक लड़की निकलती है जिसका नाम प्रीति था, वो उसे बड़े बेहूदगी और आवारापन से घूरता है और बोलता है इसी का तो ििइंतज़ार कर रहा था, मैं: इसका ििइंतजार क्यों? आदमी:ऐसे ही.. मैं:नाम पता है?उसका...