भारत मे चल रही राजनीतिक उथल-पुथल के बीच के में एक और समस्या आ पहुँची है.. जो विकास के क्रम और व्यवस्था को हिला और कमजोर कर रही है.. जी हां हम बात कर रहे है ज्योतिरादित्य सिंधिया जी जी के दल बदलने फैसले की.. भारत के ह्रदय प्रदेश कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में राजनीतिक दलों के असमंजस और साजिशों के चलते एक बार फिर राज्य में अस्थिरता की स्थिति बन आई है... मध्यप्रदेश में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने भाजपा को हराकर अपना झंडा फ़हराया है प्रदेश में भाजपा पिछले 3चुनाव लगभग15 सालों से पूर्ण बहुमत के साथ थी परंतु अब 15 सालों बाद प्रदेश की जनता ने अपना प्रतिनिधित्व बदलकर कांग्रेस पार्टी के हाथों दिया.. और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में माननीय कमलनाथ जी को चुना गया.. सरकार अभी बनी हीथी कि congress के अंदर मतभेद और फुट की स्थिति उत्पन्न होने लगी.. सरकार और उनके समर्थकों में मनमुटाव काफी बढ़ा और परिणाम हुआ कि party ताकतवर नेता सिंधिया जी ने congress का हाथ छोड़ कर BJP साथ थामा.. जिसके 2कारण सामने आए सिंधिया: सरकार किसानों का कर्ज माफ करन...
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