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Showing posts with the label Importace ऑफ the Day

राष्ट्रीय झंडा दिवस

"22 जुलाई 1947" को जब हमारे देश भारत का'  'राष्ट्रीय ध्वज" अपनाया या अंगीकृत किया गया।  जिसे हम तिरंगा कहते है जो आज तक अपने उसी वर्तमान स्वरूप में है जो 22 जुलाई 1947 को था।जिसका डिजाइन स्वर्गीय श्री पिंगली वैंकेया ने दिया था। तिरंगा झंडा के पहले भी हमारे राष्ट्रीय ध्वज के अलग अलग क्षेत्रों और राज्यों में अलग अलग स्वरूप होते थे परन्तु देश की आजादी के बाद एक राष्ट्र,एक ध्वज की परिभाषा को ध्यान में रखते हुए संविधान सभा ने वर्तमान ध्वज का प्रस्ताव दिया जिसे 22 जुलाई 1947 को स्वीकार किया गया। इसी दिन की याद में तबसे लेकर आज तक हम 22 जुलाई को राष्ट्रीय झंडा दिवस मनाते हैं। indian flag  till 1947 तिरंगे से पहले, भारत के कई झंडे हुआ करते थे, जो अलग-अलग समय पर, अलग-अलग उद्देश्यों के लिए उपयोग किए गए थे।   1906 से 1947 के बीच, हमारे राष्ट्रीय ध्वज के 7 प्रकार तय किए गए थे जो समय समय पर बदलते रहे जिनकी जानकारी निम्नलिखित है। 1906 का कोलकाता ध्वज : यह ध्वज 3 आड़ी पट्टियों से बना हुआ था जिनमें हरा, पीला और लाल रंग होते थे ऊपर हरी पट्टी में कमल के 8 फूल, आठों प्रांतों के प्र...

7 january: राष्ट्रीय बाबलहेड दिवस

 आज गुड्डे गुड़ियों को समर्पित एक दिवस है जिसके बारे में चर्चा कम ही की जाती है तो आइए जानते है इस दिवस के बारे में और उनके बारे  जिन्होंने हमारा बचपन सुखद बनाया था। बाबलहेड गुड़िया  बॉबलहेड दिवस: एक अनोखा उत्सव बॉबलहेड दिवस प्रत्येक वर्ष 7 जनवरी को मनाया जाता है, जो बॉबलहेड गुड़ियों के प्रति सम्मान और प्यार को दर्शाता है। यह दिन बॉबलहेड्स के संग्रह और उनके इतिहास को जानने के लिए भी समर्पित है। बॉबलहेड दिवस की शुरुआत बॉबलहेड दिवस की शुरुआत के बारे में विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह त्योहार 1990 के दशक से लोकप्रिय हो रहा है। इस दिन को मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य बॉबलहेड गुड़ियों के प्रति प्यार और सम्मान को बढ़ावा देना है। व्हाट्सअप में फॉलो करने के लिए क्लिक here  Here बॉबलहेड दिवस का महत्व बॉबलहेड दिवस का महत्व निम्नलिखित है: 1. *बॉबलहेड गुड़ियों का सम्मान*: यह दिन बॉबलहेड गुड़ियों के प्रति सम्मान और प्यार को दर्शाता है। 2. *संग्रह और इतिहास*: यह दिन बॉबलहेड्स के संग्रह और उनके इतिहास को जानने के लिए समर्पित है। 3. *मनोरंजन और आनंद*: यह दिन लोगों को बॉबलहे...

6 january: प्रकाश पर्व

 प्रकाश पर्व: गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती प्रकाश पर्व सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। यह दिन सिख समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और विश्वभर में सिख समुदाय के लोग इसे बड़े ही उत्साह और धार्मिक भावना के साथ मनाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी का जीवन गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना में हुआ था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर जी ने उन्हें सिख धर्म के सिद्धांतों और शिक्षाओं के बारे में सिखाया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने पिता की शहादत के बाद सिख धर्म के दसवें गुरु के रूप में पदभार संभाला। गुरु गोबिंद सिंह जी की उपलब्धियाँ गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म को मजबूत करने और इसके सिद्धांतों को फैलाने के लिए बहुत काम किया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की, जो सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने सिखों को एकजुट करने और उन्हें एक मजबूत और संगठित समुदाय बनाने के लिए काम किया। गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाएँ गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिख धर्म के सिद्धांतों और शिक्षाओं के बारे में बहुत कुछ कहा। उन्होंने सिखों को एक अच्छा जीवन जीने और...

6 January: विश्वकर्मा जयंती

आज 6 जनवरी भगवान विश्वकर्मा जी की जयंती पर समर्पित  छोटे_बड़े कारखानों के देवता विश्वकर्मा की जयंती  विश्वकर्मा जयंती: एक दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित विश्वकर्मा जयंती एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान विश्वकर्मा की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष 17 सितंबर को मनाया जाता है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह 6 जनवरी को भी मनाया जाता है। विश्वकर्मा जयंती का महत्व विश्वकर्मा जयंती का महत्व भगवान विश्वकर्मा की महानता और उनके द्वारा किए गए कार्यों को समर्पित है। भगवान विश्वकर्मा को हिंदू धर्म में देवताओं के वास्तुकार और शिल्पकार माना जाता है। उन्हें स्वर्गलोक के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है। विश्वकर्मा जयंती का इतिहास विश्वकर्मा जयंती का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। भगवान विश्वकर्मा का उल्लेख ऋग्वेद और अन्य प्राचीन हिंदू ग्रंथों में मिलता है। भगवान विश्वकर्मा को भगवान ब्रह्मा के पुत्र के रूप में माना जाता है और उन्हें सृष्टि के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर क्या किया जाता है फॉलो https://wha...

5 january: NATIONAL BIRDS DAY

 राष्ट्रीय पक्षी दिवस: पक्षियों के संरक्षण का आह्वान हर साल 5 जनवरी को राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता है, जो विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए एक अवसर प्रदान करता है। यह दिन हमें पक्षियों के महत्व और उनके संरक्षण की आवश्यकता की याद दिलाता है। National day for birds  पक्षियों का महत्व पक्षी हमारे पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पक्षी पौधों के बीजों को फैलाने में मदद करते हैं, जिससे वनस्पतियों की विविधता बढ़ती है। इसके अलावा, पक्षी कीटों और अन्य हानिकारक जीवों को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जिससे फसलों की सुरक्षा होती है। पक्षियों के संरक्षण की आवश्यकता आजकल, पक्षियों की कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के खतरे से गुजर रही हैं। उनके आवासों का विनाश, प्रदूषण और शिकार जैसे कारणों से पक्षियों की संख्या में कमी आ रही है। इसलिए, पक्षियों के संरक्षण की आवश्यकता है, ताकि हम उनकी विविधता को बनाए रख सकें और प्रकृति के संतुलन को बनाए रख सकें। राष्ट्रीय पक्षी दिवस का मह...

Importance of language of handicapped

 ब्रेल लिपि की खोज एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने नेत्रहीन लोगों के जीवन में एक नई रोशनी लाई। यहाँ कुछ विचार हैं जो ब्रेल लिपि की खोज पर प्रकाश डालते हैं: ब्रेल लिपि की आवश्यकता नेत्रहीन लोगों के लिए पढ़ने और लिखने की क्षमता बहुत महत्वपूर्ण है। लेकिन 19वीं सदी में, नेत्रहीन लोगों के लिए पढ़ने और लिखने का कोई व्यावहारिक तरीका नहीं था। इस समस्या का समाधान करने के लिए, लुइस ब्रेल ने ब्रेल लिपि की खोज की। लुइस ब्रेल की कहानी लुइस ब्रेल एक फ्रांसीसी शिक्षक थे जो खुद नेत्रहीन थे। उन्होंने अपनी नेत्रहीनता को एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया और नेत्रहीन लोगों के लिए पढ़ने और लिखने का एक तरीका विकसित करने का निर्णय लिया। A handicapped person front of Liberary  ब्रेल लिपि की विशेषताएं ब्रेल लिपि एक अनोखी लिपि है जिसमें अक्षरों और शब्दों को छूने के माध्यम से पढ़ा जा सकता है। इसमें छह बिंदुओं का एक ग्रिड होता है, जिसमें से कुछ बिंदु उभरे होते हैं और कुछ समतल होते हैं। इन उभरे हुए बिंदुओं को छूने से अक्षरों और शब्दों को पढ़ा जा सकता है। ब्रेल लिपि का महत्व ब्रेल लिपि का महत्व बहुत अधिक है। य...

3 जनवरी: ब्रेल दिवस

 आज 3 जनवरी ब्रेल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं, ब्रेल एक ऐसा नाम जिसने उन्हें भी दुनिया देखने का नजरिया दिया, जिनकी आंखों में रोशनी भी नहीं होती, आइए आज इस दिन के महत्व को समझते है  Dedicated to handicapped  ब्रेल दिवस: एक नई रोशनी की ओर हर साल 4 जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है, जो नेत्रहीन लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। यह दिन ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुइस ब्रेल के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने नेत्रहीन लोगों के लिए एक नई रोशनी की ओर इशारा किया था। ब्रेल लिपि का आविष्कार 19वीं सदी में लुइस ब्रेल ने किया था, जो खुद नेत्रहीन थे। उन्होंने इस लिपि को विकसित करने के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित की थी। ब्रेल लिपि में अक्षरों और शब्दों को छूने के माध्यम से पढ़ा जा सकता है, जो नेत्रहीन लोगों के लिए एक वरदान साबित हुआ है। ब्रेल लिपि की उपयोगिता को कम नहीं आंका जा सकता है। यह नेत्रहीन लोगों को पढ़ने और लिखने की क्षमता प्रदान करती है, जो उनके लिए एक नई दुनिया की ओर दरवाजा खोलती है। ब्रेल लिपि के माध्यम से, नेत्रहीन लोग अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त कर सकत...

:2 जनवरी:विश्व संगीत दिवस

 भारत में 2 जनवरी को "विश्व संगीत दिवस" या "विश्व संगीत दिवस" के रूप में मनाया जाता है, लेकिन यह कोई राष्ट्रीय अवकाश नहीं है। हालांकि, भारत में 2 जनवरी को "स्वास्थ्य कर्मी दिवस" के रूप में भी मनाया जाता है, जो स्वास्थ्य कर्मियों के योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है।विश्व संगीत दिवस संगीत हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। यह हमें खुशी, शांति और आनंद प्रदान करता है। संगीत की शक्ति को समझने और इसके महत्व को बढ़ावा देने के लिए, हर साल 2 जनवरी को विश्व संगीत दिवस के रूप में मनाया जाता है। संगीत का इतिहास बहुत पुराना है। यह हमारी संस्कृति, परंपराओं और भावनाओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। संगीत के माध्यम से, हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं, अपनी संस्कृति को संरक्षित कर सकते हैं और दूसरों के साथ जुड़ सकते हैं। विश्व संगीत दिवस का उद्देश्य संगीत के महत्व को बढ़ावा देना और इसके प्रति जागरूकता फैलाना है। इस दिन, संगीतकार, गायक और संगीत प्रेमी विभिन्न कार्यक्रमों और समारोहों में भाग लेते हैं। हमें संगीत के महत्व को समझना चाहिए और इसके प्रति सम्मान दिखाना...