*।। जय सिया राम ।।*
💐 रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं💐
राम एक ऐसा नाम है जिससे हर मत-हर मजहब-हर जाति-हर पंथ-हर सम्प्रदाय का व्यक्ति परिचित है।
राम,राम क्यो है?
letsl Learn about SHIR RAM
राम,अयोध्या के राजा है? इसलिये!
नही, ना जाने कितने राजा हुये,किसे याद है...
राम ने रावण को मारा? इसलिये!
यह भी बडी बात नही,न जाने कितनी बार अच्छाई की बुराई पे विजय हुई।
राम का मंदिर अयोध्या मे बनेगा इसलिये!
अरे नही, मंदिर हो या मस्जिद राम का अस्तित्व अमित है।
तो आखिर राम,राम क्यो है?
तुलसी दास जी ने लिखा,
राम जन्म के हेतु अनेका।
राम के राम होने के भी अनेकानेक कारण है। लेकिन अगर सामान्य दृष्टि से देखा जाय,तो प्रत्यक्षतः राम के व्यक्तित्व मे उभार आने कारण एक है। एक वाक्य सायद मेरे अपरिमित राम को परिभाषित कर सके।
*जीवन जीने की कला का नाम ही राम है।*
अयोध्या मे राम का मंदिर होना मेरे लिये बडी बात नही है, राम के व्यक्तित्व की छाप जन-सामान्य मे पडे, जन-सामान्य के हृदय भवन मे राम का अवतरण हो यह बहुत बडी बात है।
राम के ऊपर आरोप प्रत्यारोप की प्रक्रिया ठीक ऐसे ही है कि मै आग मे पानी डाल कर कहू मैने आग को गीला कर दिया।
राम जन-जन के है,कण-कण के है। राम के ऊपर एकाधिपत्य सिद्ध करने वालो ने राम को सायद जाना ही नही। राम के स्वरूप की महिमा ऐसी है कि,
*जो राम बन गये,वो राम बन गये... ।।*
जिसका स्वरूप इतना प्रभावशाली है,उसके व्यक्तित्व का अनुमान लगाने की क्षमता हमारे भीतर तो नही।
एक बार रावण से अपनी धर्मपत्नी मंदोदरी ने कहा अरे यदि आप को सीता की ही इच्छा है तो आप तो मयावी हो, कोइ भी वेश बना सकते हो। राम के वेश मे सीता के पास चले जाओ। रावण ने कहा, अरे मंदोदरी तुम्हे क्या लगता है कि दशानन ने यह नही सोचा होगा?
मंदोदरी ने पूछा तो नाथ फ़िर क्या हुआ!?
https://chandlatosatna.blogspot.com/2020/03/qismat.html
अरे मंदोदरी, मैने ना जाने कितनी बार राम का वेश धारण किया और सीता के निकट गया लेकिन जब मै राम का वेश धारण करता हू तो सीता मे मै, पुत्री स्वरूप के दर्शन करने लग जाता हू। हे मंदोदरी राम के स्वरूप को धारण करते ही मुझे समस्त स्त्रिया माँ-बहन और बेटी के रूप मे दिखने लगती है...
मेरे कहने का आशय यह है कि,जिसके वेश मात्र को धारण करने से विचार स्वतः संयमित होने लगे, ऐसे राम का व्यक्तित्व जब हमारे जीवन मे उपस्थित होगा तो क्या होगा।
राम भगवान है अथवा नही इस चर्चा मे बिना घुसे, राम प्रत्यक्षतः जो है केवल उसे ही यदि हम स्वीकार कर ले तो हम आदर्श मानव निश्चित ही बन जायेगे।
राम का जीवन एक सूत्र की तरह है जिसमे यदि हमने स्वयम् को पिरो दिया तो हम स्वतः सिद्ध हो जायेगे।
इस महामारी के माहौल मे राम का जन्मोत्सव मना पाना कठिन है, लेकिन राम को अपने जीवन मे तो हम कभी भी उतार सकते है....क्यो ना आज ही यह कार्य करे। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर कोइ-न-कोइ बुराई होती है जिसका साक्षी मात्र हमारा अंतःकरण होता है, कोइ एक बुराई छोड़ कर राम के जीवन पथ के किसी एक मार्ग का अनुगमन करे। ऐसे रामनवमी का पावन उत्सव सफ़ल हो जायेगा, मुझे विश्वास है कि ऐसे मे राम भी प्रसन्न होगे और समाज मे भी कुछ अच्छा होगा........
✍ सागर कृष्ण..
Wait_for_next..
💐 रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं💐
राम एक ऐसा नाम है जिससे हर मत-हर मजहब-हर जाति-हर पंथ-हर सम्प्रदाय का व्यक्ति परिचित है।
राम,राम क्यो है?
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राम,अयोध्या के राजा है? इसलिये!
नही, ना जाने कितने राजा हुये,किसे याद है...
राम ने रावण को मारा? इसलिये!
यह भी बडी बात नही,न जाने कितनी बार अच्छाई की बुराई पे विजय हुई।
राम का मंदिर अयोध्या मे बनेगा इसलिये!
अरे नही, मंदिर हो या मस्जिद राम का अस्तित्व अमित है।
तो आखिर राम,राम क्यो है?
तुलसी दास जी ने लिखा,
राम जन्म के हेतु अनेका।
राम के राम होने के भी अनेकानेक कारण है। लेकिन अगर सामान्य दृष्टि से देखा जाय,तो प्रत्यक्षतः राम के व्यक्तित्व मे उभार आने कारण एक है। एक वाक्य सायद मेरे अपरिमित राम को परिभाषित कर सके।
*जीवन जीने की कला का नाम ही राम है।*
अयोध्या मे राम का मंदिर होना मेरे लिये बडी बात नही है, राम के व्यक्तित्व की छाप जन-सामान्य मे पडे, जन-सामान्य के हृदय भवन मे राम का अवतरण हो यह बहुत बडी बात है।
राम के ऊपर आरोप प्रत्यारोप की प्रक्रिया ठीक ऐसे ही है कि मै आग मे पानी डाल कर कहू मैने आग को गीला कर दिया।
राम जन-जन के है,कण-कण के है। राम के ऊपर एकाधिपत्य सिद्ध करने वालो ने राम को सायद जाना ही नही। राम के स्वरूप की महिमा ऐसी है कि,
*जो राम बन गये,वो राम बन गये... ।।*
जिसका स्वरूप इतना प्रभावशाली है,उसके व्यक्तित्व का अनुमान लगाने की क्षमता हमारे भीतर तो नही।
एक बार रावण से अपनी धर्मपत्नी मंदोदरी ने कहा अरे यदि आप को सीता की ही इच्छा है तो आप तो मयावी हो, कोइ भी वेश बना सकते हो। राम के वेश मे सीता के पास चले जाओ। रावण ने कहा, अरे मंदोदरी तुम्हे क्या लगता है कि दशानन ने यह नही सोचा होगा?
मंदोदरी ने पूछा तो नाथ फ़िर क्या हुआ!?
https://chandlatosatna.blogspot.com/2020/03/qismat.html
अरे मंदोदरी, मैने ना जाने कितनी बार राम का वेश धारण किया और सीता के निकट गया लेकिन जब मै राम का वेश धारण करता हू तो सीता मे मै, पुत्री स्वरूप के दर्शन करने लग जाता हू। हे मंदोदरी राम के स्वरूप को धारण करते ही मुझे समस्त स्त्रिया माँ-बहन और बेटी के रूप मे दिखने लगती है...
मेरे कहने का आशय यह है कि,जिसके वेश मात्र को धारण करने से विचार स्वतः संयमित होने लगे, ऐसे राम का व्यक्तित्व जब हमारे जीवन मे उपस्थित होगा तो क्या होगा।
राम भगवान है अथवा नही इस चर्चा मे बिना घुसे, राम प्रत्यक्षतः जो है केवल उसे ही यदि हम स्वीकार कर ले तो हम आदर्श मानव निश्चित ही बन जायेगे।
राम का जीवन एक सूत्र की तरह है जिसमे यदि हमने स्वयम् को पिरो दिया तो हम स्वतः सिद्ध हो जायेगे।
इस महामारी के माहौल मे राम का जन्मोत्सव मना पाना कठिन है, लेकिन राम को अपने जीवन मे तो हम कभी भी उतार सकते है....क्यो ना आज ही यह कार्य करे। प्रत्येक व्यक्ति के भीतर कोइ-न-कोइ बुराई होती है जिसका साक्षी मात्र हमारा अंतःकरण होता है, कोइ एक बुराई छोड़ कर राम के जीवन पथ के किसी एक मार्ग का अनुगमन करे। ऐसे रामनवमी का पावन उत्सव सफ़ल हो जायेगा, मुझे विश्वास है कि ऐसे मे राम भी प्रसन्न होगे और समाज मे भी कुछ अच्छा होगा........
✍ सागर कृष्ण..
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