हम सब जानते है कि, कोई भी घटना उसी समय का परिणाम न होकर निरंतर चलती आ रही सभी छोटी-बड़ी घटनाओं का परिणाम होता है.. चाहे फिर वह कोई भी घटना क्यों न हो... उसी में होती है एक समस्या महिलाओं और लड़कियों पर होने वाली
क्रूरता..
आम तौर पर देखा गया है महिलाओं को उनके बचपन से ही दबाने, उन्हें नीचा दिखाने की कोसिस की जाती है इसके विपरीत पुरुषों का वर्चस्व स्थापित करने की कोसिस की जाती है, इससे मात्र बच्चियों की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव न पड़ कर उन पुरुषों पर भी नकारात्मक प्रभाव, और नकारात्मक मानसिकता का विकास होता है जिनके सम्मुख या जिनके द्वारा या फिर जिनकी तुलना में महिलाओं,/लड़कियों/बच्चियों कमतर समझा जाता है..
बहुत बात करती है.. मुह बन्द करवा दूँगा😡..
चलो मैं उसे बुला कर लाता हु.. जो कुछ करना है कर के दिखाना.. डरना मत ...वो तुम्हे कुछ नही बोलेगी.. और न ही मारेगी.. और न ही शिकायत करेगी.. मैं गारंटी लेता हूं..
और अगर न मार पाए न तो सुन लो..
मारने के लिए हिम्मत,
और मजाक करने के लिए नियत चाहिए..
और तुम्हारे पास दोनों नही।।
#अफसोस
#बुद्धिजीव
बस मेरा इतना कहना था कि अंदर से हमारे टीचर की आवाज आ गई क्लास लग चुकी है और हम सब अंदर चले, कुछ दिनों तक तो वह शांत रहा लेकिन बचपन की आदत जाती कहा है.. फिर शुरू हो गई..
इस बात/कहानी को बताने का मतलब सिर्फ इतना ही है कि मानसिकता है बदलना पड़ेगी, कई बार समाज या धर्म का नाम देकर महिलाओं को दबा दिया जाता है चलो माना कि परंपरा है कोई बात नही लेकिन उस स्थान पर जहां अपनी हार को छिपाने के लिए महिलाओं को दबाया जाए, ये तो सही नही, और ये सिर्फ बचपन की मानसिकता पर निर्भर करता है..
ऐसे ही बहुत से उदाहरण और घटनाएं प्रतिदिन हमारे सामने घटित होती है और हम उन्हें नज़रंदाज़ कर देते हैं...
✍इमरान
Wait for next...https://chandlatosatna.blogspot.com/2020/02/1.html
महिलाओं पर होने वाली घटनाओं में से एक ☝☝☝☝
क्रूरता..
आम तौर पर देखा गया है महिलाओं को उनके बचपन से ही दबाने, उन्हें नीचा दिखाने की कोसिस की जाती है इसके विपरीत पुरुषों का वर्चस्व स्थापित करने की कोसिस की जाती है, इससे मात्र बच्चियों की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव न पड़ कर उन पुरुषों पर भी नकारात्मक प्रभाव, और नकारात्मक मानसिकता का विकास होता है जिनके सम्मुख या जिनके द्वारा या फिर जिनकी तुलना में महिलाओं,/लड़कियों/बच्चियों कमतर समझा जाता है..
ये कहानी या बात जो भी है उन्ही में से एक लड़के की है जो अपनी बचपन की मानसिकता के चलते स्वयं को महिलाओं से शीर्ष पर समझता है..
ये लड़का कुछ समय पहले मिला था और मेरा ही सहपाठी था. हम जिस संस्था में थे वहाँ पर वह मुझसे पहले पहुच चुका था जिसके चलते उसे वहा की ज्यादा खबर थी, मैं तो अभी नया नया ही गया था और मेरा उस संस्था में जाना मेरी एक फ्रंड के द्वारा सम्भव हुआ जो कि हमारे साथ ही थी.. और मेरी अच्ची फ्रंड थी...वैसे तो ये लड़का कम ही पढ़ने आता था लेकिन जब भी आता तो उसमें अलग ही घमंड रहता (बोले तो घमंड में नहाया हुआ और ऐसा नहाया की पसीना भी आए यो घमंड का हो),
अमूमन जब कि क्लास में किसी सवाल का जवाब यदि कोई लड़की देती तो उस लड़के का जवाब बिना किसी तर्क के लड़की की बात को काटना होता और अंत मे बोलता तुम लडक़ी हो मुझे मत सिखाओ,
ये बात ऐसे ही बढ़ती गई ,हमेेशा use किसी न किसी बात पर लड़कियों सेे दिक्कत रहती..कुुुुछ न
कुछ कहना उसकी आदत हो गई थी, जैसे
चुनु-चुनु हमका न बताई, एक थापड़ में दिखाई न देगा,
जो साधारण बात में कोई किसी से न कहता,
फिर एक दिन अचानक वो मुझसे बोल पड़ा, क्यों कि उस वक़्त तक मैं क्लास में सभी को जानने लगा था और दोस्तों में मेरी पहचान उससे कई ज्यादा हो गई थी, खैर मैं कुछ नही बोला,..... तभी एक दिन किसी बात को लेकर क्लास में बहस चल रही जिसमे लड़कियों ने अच्छा प्रदर्शन किया क्लास के एक भाग के खत्म होने पर हम कुछ लड़के घूमने के लिए बाहर गए तब वहाँ उसका कहना था!
हम सोची की को बात करे बिटियन से नही त हमसे कौनो न जीते पाई..खैर कोई कुछ नही बोला लेकिन वह इसे अपना सम्बोधन समझ कर और बोलने लगा और बोलते बोलते मेरी 4-5फ्रंड के बारे में बोलने लगा..कि उन बिटियन का तो मारे का पड़ी जौँन तुमरिन से बात करती हीं।
अपनी मानसिकता के चलते वह अपनी हार(क्लास की बहस में हार)को मान नही रहा था और अनर्गल बातें करके, उल्टे सीधे तर्क देकर स्वयं को श्रेष्ठ बताने का प्रयास कर रहा था, लेकिन जब बात दोस्तों की आ जाती है तो बोलना जरूरी हो जाता है तब मैंने भी बोलना शुरू कर दिया
।ये क्या लगा रखा है. मार दूँगा ,मार दूँगा
बहुत बात करती है.. मुह बन्द करवा दूँगा😡..
चलो मैं उसे बुला कर लाता हु.. जो कुछ करना है कर के दिखाना.. डरना मत ...वो तुम्हे कुछ नही बोलेगी.. और न ही मारेगी.. और न ही शिकायत करेगी.. मैं गारंटी लेता हूं..
और अगर न मार पाए न तो सुन लो..
मारने के लिए हिम्मत,
और मजाक करने के लिए नियत चाहिए..
और तुम्हारे पास दोनों नही।।
#अफसोस
#बुद्धिजीव
बस मेरा इतना कहना था कि अंदर से हमारे टीचर की आवाज आ गई क्लास लग चुकी है और हम सब अंदर चले, कुछ दिनों तक तो वह शांत रहा लेकिन बचपन की आदत जाती कहा है.. फिर शुरू हो गई..
इस बात/कहानी को बताने का मतलब सिर्फ इतना ही है कि मानसिकता है बदलना पड़ेगी, कई बार समाज या धर्म का नाम देकर महिलाओं को दबा दिया जाता है चलो माना कि परंपरा है कोई बात नही लेकिन उस स्थान पर जहां अपनी हार को छिपाने के लिए महिलाओं को दबाया जाए, ये तो सही नही, और ये सिर्फ बचपन की मानसिकता पर निर्भर करता है..
ऐसे ही बहुत से उदाहरण और घटनाएं प्रतिदिन हमारे सामने घटित होती है और हम उन्हें नज़रंदाज़ कर देते हैं...
✍इमरान
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महिलाओं पर होने वाली घटनाओं में से एक ☝☝☝☝
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