फिर वही एक पुरानी सोच के साथ एक और कहानी है.. पता नही ये किसके ऊपर है..
परम्परा
सोच
नादानी
या फिर घमंड
खैर कुछ भी हो..मुझे नही पता ये आपको पता लगाना हैै..
कहानी को समझने के लिए पहले उसके किरदार को समझना जरूरी है..
सीता मैम: संस्कृत टीचर, (daughter-in-law ,ownre of our primary school),
छोटेलाल: एक दुबला-पतला सा लड़का (हरिजन/दलित समुदाय में से )
संदीप,दीपक, शुभम, वीरू, आदि (क्लासमेट )
बात यही कोई 9-10 साल पुरानी है, जब मै शायद 6-7कक्षा में पढ़ता था. ..उस समय हमारी क्लास में एक छात्र छोटेलाल आया, जो किएक हरिजन समुदाय से था,अब ये समुदाय का मतलब क्या होता है उस समय तक हमे नही मालूम था, हम सब तो आपस में दोस्त थे.. और ज्यादा से ज्यादा हिन्दू-मुशलिम दो ही प्रकार के साथी थे.. इसके अलावा और कोई था नही..
तो जब छोटेलाल आया, पहले तो वो सरकारी स्कूल या आंगनवाड़ी में पढ़ता था तो पढ़ाई में कमजोर होना एक आम बात थी लेकिन जब वह पड़ता नही था तो हमारी मैम(सीता)पढ़ने आए हो तो पढ़ो, तुम्हे तो यहाँ पर एडमिशन मिल गया है, वरना मिलना नही चाहिए था.. का ताना देेती,
और ये ताना एक साल तक चला.. अब ये ताना क्या है इसका मतलब हमे नही पता था और न ही छोटेलाल को.. तो हम ध्यान नही देते थे..
उस समय हमारे स्कूल के ओनर बीमार थे और काफी उम्रदराज भी थे, बीमारी में उनकी मृत्यु हो जाती है. कुछ दिन स्कूल में छुट्टी रहती है और फिर जब स्कूल खुलता है तो बात हो रही होती है कक्का बाबा (ओनर का संबोधित नाम जो सभी कहकर बुलाते थे) की बरसी की..
हम किसी भी दोस्त को पता भी नही था ये है क्या.. बस इतना जानते थे कि एक परम्परा है..
तो कक्का बाबा की तेरहवी का सब काम हो गया, स्कूल में भी बच्चो को बोला गया लेकिन हमारी मैम की सोच तो कमाल थी उन्होंने एक जुगाड़ निकाला कि बरसी में ब्राम्हण भोज तो घर वाले ही करेगे क्यों कि वो स्वयं ब्राम्हण समुदाय से थी, तो उनके रिश्तेदारों को खाना खिलाने के लिए मेरे दोस्तों को बोला गया और बोला गया छोटेलाल को.. लेकिन छोटेलाल का काम थोड़ा अजीब था..
और वो था पत्तल उठाने का.. हमे लगा सभी उठाएंगे..हम यही समझेे, खैर बरसी हुई अगले दिन छोटेलाल किसी काम के चलते स्कूल नही आया...
क्लास शुरू हुई, मैम के आने पर बरसी की बात शुरू हुई,
सब बोले बहुत मस्ती हुई, मजा आया.. लेकिन मैम के द्वारा अरे छोटेलाल नीच जाति का है उसे छुआ नही जाता, तभी उसे पतरी उठाने का काम बोला था, और खाना भी उसे पैक करके दे दिया था कि घर मे जाकर खा लेगा.. उस समय इस कथन को समझना बहुत मुश्किल था....
लेकिन एक दिन अचानक वह बात याद आ गई.. थोड़ा बहुत समझ आया.
कैसे उस एक नासमझ लड़के से या कहे कि बच्चे से उसकी जाति के चलते काम लिया गया, उसके दोस्तों को सामने रखकर, ये अलग बात है कि वह समझ नही सका, या उसे अब समझ आ गया होगा,
⇇⇇👦👦ӱ
1.उसका शोषण हुआ
2.बचपन मे मानसिक तनाव
3.स्कूल जैसी समानता की जगह में भेदभाव
4.छोटेलाल तो हुआ ही, लेकिन साथ ही हमारे अंदर भी ऐसी हीन सोच डालने की अनजाने में कोसिस की गई..
छोटेलाल के पिता का स्वर्गवास कुछ वर्षों में हो गया, आर्थिक स्थिति कमजोर चलते अब पढ़ाई छोड़े हुए उसे 6-7साल हो गया.. अब छोटेलाल सेलून में काम करता है..
✍इमरान__
Wait_for_next...
Click next..for more..
#sorry_
परम्परा
सोच
नादानी
या फिर घमंड
खैर कुछ भी हो..मुझे नही पता ये आपको पता लगाना हैै..
कहानी को समझने के लिए पहले उसके किरदार को समझना जरूरी है..
सीता मैम: संस्कृत टीचर, (daughter-in-law ,ownre of our primary school),
छोटेलाल: एक दुबला-पतला सा लड़का (हरिजन/दलित समुदाय में से )
संदीप,दीपक, शुभम, वीरू, आदि (क्लासमेट )
बात यही कोई 9-10 साल पुरानी है, जब मै शायद 6-7कक्षा में पढ़ता था. ..उस समय हमारी क्लास में एक छात्र छोटेलाल आया, जो किएक हरिजन समुदाय से था,अब ये समुदाय का मतलब क्या होता है उस समय तक हमे नही मालूम था, हम सब तो आपस में दोस्त थे.. और ज्यादा से ज्यादा हिन्दू-मुशलिम दो ही प्रकार के साथी थे.. इसके अलावा और कोई था नही..
तो जब छोटेलाल आया, पहले तो वो सरकारी स्कूल या आंगनवाड़ी में पढ़ता था तो पढ़ाई में कमजोर होना एक आम बात थी लेकिन जब वह पड़ता नही था तो हमारी मैम(सीता)पढ़ने आए हो तो पढ़ो, तुम्हे तो यहाँ पर एडमिशन मिल गया है, वरना मिलना नही चाहिए था.. का ताना देेती,
और ये ताना एक साल तक चला.. अब ये ताना क्या है इसका मतलब हमे नही पता था और न ही छोटेलाल को.. तो हम ध्यान नही देते थे..
उस समय हमारे स्कूल के ओनर बीमार थे और काफी उम्रदराज भी थे, बीमारी में उनकी मृत्यु हो जाती है. कुछ दिन स्कूल में छुट्टी रहती है और फिर जब स्कूल खुलता है तो बात हो रही होती है कक्का बाबा (ओनर का संबोधित नाम जो सभी कहकर बुलाते थे) की बरसी की..
हम किसी भी दोस्त को पता भी नही था ये है क्या.. बस इतना जानते थे कि एक परम्परा है..
तो कक्का बाबा की तेरहवी का सब काम हो गया, स्कूल में भी बच्चो को बोला गया लेकिन हमारी मैम की सोच तो कमाल थी उन्होंने एक जुगाड़ निकाला कि बरसी में ब्राम्हण भोज तो घर वाले ही करेगे क्यों कि वो स्वयं ब्राम्हण समुदाय से थी, तो उनके रिश्तेदारों को खाना खिलाने के लिए मेरे दोस्तों को बोला गया और बोला गया छोटेलाल को.. लेकिन छोटेलाल का काम थोड़ा अजीब था..
और वो था पत्तल उठाने का.. हमे लगा सभी उठाएंगे..हम यही समझेे, खैर बरसी हुई अगले दिन छोटेलाल किसी काम के चलते स्कूल नही आया...
क्लास शुरू हुई, मैम के आने पर बरसी की बात शुरू हुई,
सब बोले बहुत मस्ती हुई, मजा आया.. लेकिन मैम के द्वारा अरे छोटेलाल नीच जाति का है उसे छुआ नही जाता, तभी उसे पतरी उठाने का काम बोला था, और खाना भी उसे पैक करके दे दिया था कि घर मे जाकर खा लेगा.. उस समय इस कथन को समझना बहुत मुश्किल था....
लेकिन एक दिन अचानक वह बात याद आ गई.. थोड़ा बहुत समझ आया.
कैसे उस एक नासमझ लड़के से या कहे कि बच्चे से उसकी जाति के चलते काम लिया गया, उसके दोस्तों को सामने रखकर, ये अलग बात है कि वह समझ नही सका, या उसे अब समझ आ गया होगा,
⇇⇇👦👦ӱ
1.उसका शोषण हुआ
2.बचपन मे मानसिक तनाव
3.स्कूल जैसी समानता की जगह में भेदभाव
4.छोटेलाल तो हुआ ही, लेकिन साथ ही हमारे अंदर भी ऐसी हीन सोच डालने की अनजाने में कोसिस की गई..
छोटेलाल के पिता का स्वर्गवास कुछ वर्षों में हो गया, आर्थिक स्थिति कमजोर चलते अब पढ़ाई छोड़े हुए उसे 6-7साल हो गया.. अब छोटेलाल सेलून में काम करता है..
✍इमरान__
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#sorry_
Comments
तो कार्य मे कोइ बुराई न थी, बुराइ थी उस शिक्षक की सोच मे.
यदि गुरू,वैद्य,राजा जैसे पद मे अवस्थित लोग भेद बुद्धि रखेगे तो राज्य की हानि निश्चित ही होगी.
और फ़िर,मुझे लगता है कि इस प्रजातंत्र मे जब समस्त प्रजा ही राजा है तो यह भेद बुद्धि सभी को छोडना अनिवार्य है...
भाइ जो तूने लिखा समाज की हकीकत है, मैने बहुत सोचा-चिन्तन किआ और लिखा भी. लेकिन इन सब का एक ही उपाय है... बस थोडा कठिन है लेकिन कारगर है...
और ये काम बडे पैमाने पे राजनेता-धर्म गुरू कर सकते है... लेकिन इस उपाय से राजनेता- धर्मगुरुओ को कोइ लाभ नही... तो उम्मीद नही लगा सकते.... सायद आने वाली पीढी मे तेरे-मेरे जैसे लोग सोच का स्तर सही कर सके.... सागर कृष्ण
https://chandlatosatna.blogspot.com/2020/03/Whyshedo.html
जब उसे पता चलेगा.. उसके साथ ऐसा क्यों..??
तब दोषी कौन होगा❓❓
https://chandlatosatna.blogspot.com/2020/03/Whyshedo.html
जब उसे पता चलेगा.. उसके साथ ऐसा क्यों..??
तब दोषी कौन होगा❓❓