Hiroshima and Nagasaki Atomic Attack: , हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु हमला पर एक विस्तृत और तथ्यात्मक हिंदी Blog
⚠️ Hiroshima और नागासाकी परमाणु हमला: मानव इतिहास का सबसे भीषण युद्ध अपराध
Overview : 🔰
जब 2nd विश्व अपने अंतिम चरण में था तब अमेरिका ने जापान 🗾 के दो शहरों हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराया, यह हमला इतना भीषण था कि लाखों की संख्या लोग सेकंडों में मारे गए और उतने ही घायल हुए, जबकि इसके रेडिएशन से अभी तक वहां के शहरों में कैंसर और अल्जाइमर, त्वचा रोग पनपता रहता है।
इस Blog में इसी घटना की पृष्ठ भूमि, घटना क्रम, प्रभाव और वैश्विक राजनीति को बढ़े प्रभाव को विस्तार से समझाया है।
🗺️ 2nd World war and japan 🗾
- इस विश्व युद्ध में (1939- 1945) जापान, जर्मनी और इटली की धुरी शक्तियों का हिस्सा था।
- अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन और अन्य मित्र राष्ट्र जापान के खिलाफ थे।
- 7 दिसंबर 1941 को जापान ने अमेरिका के हवाई में हमला करके पर्ल हार्बर युद्ध में शामिल हो गया।
- युद्ध में हवाई का बदला लेने और जापान को समाप्त करने 1945 में अमेरिका एक नए हथियार के साथ युद्ध में शामिल हो गया।
💣 मैनहैटन प्रोजेक्ट:
- अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा के वैज्ञानिकों ने मिलकर " मैनहैटन प्रोजेक्ट" के नाम से परमाणु बम का निर्माण किया, जिसमें मुख्य वैज्ञानिक जे.रॉबर्ट ओपनहाइमर थे।
- इस प्रोजेक्ट उद्देश्य जर्मनी और जापान को युद्ध में जल्दी हराना था।
इस प्रोजेक्ट की अन्य जानकारी दी गई लिंक में मिल जाएगी 👇
🔥 6 August: हिरोशिमा पर Attack
📍 जापान के हिरोशिमा पर, सुबह 8:15 am पर अमेरिका ने little Boy नामक यूरेनियम -235 से बना हुआ परमाणु बंब Enola Gay (B-29 bomber plane) से गिराया जिसके तत्काल प्रभाव से लगभग 70000- 80000 लोग मारे गए और 1945 के अंत तक यह संख्या बढ़कर दुगुनी (लगभग 1,40,000) हो गई ।
यह हमला इतना घातक था कि
1.पूरे शहर का 70% हिस्सा पूरा तबाह हो गया।
2. लोगो के शरीर पर जलन, बाल झड़ना, त्वचा गलना और रेडिएशन से जुड़ी बीमारियां होने लगी।
3. इसके बाद भी हजारों लोग रेडिएशन के संपर्क में आने के कारण आने वाले वर्षों में मरते रहे।
🔥9 August 1945: नागासाकी पर Attack
📍 9 अगस्त 1945 को हिरोशिमा अटैक के 3 दिन बाद अमेरिका ने जापान के ही एक दूसरे शहर नागासाकी में सुबह 11:02 am पर FAT MAN नामक बॉम्ब Bockscar विमान से गिराया, जिसके तत्काल प्रभाव से 40000- 50000 लोगों की मृत्यु हो गई.
और आने वाले समय में ये संख्या 75000 लगभग पहुंच गई।
जापान के इस क्षेत्र की बनावट पहाड़ों के बीच होने के कारण नुकसान कुछ हद तक सीमित रहा फिर भी हजारों लोग मारे गए।
🕊️ जापान का आत्म समर्पण
9 अगस्त को नागासाकी में बॉम्ब गिरने के बाद भी यहां के सम्राट ने Emperor Hirohito ने अंतिम निर्णय लेने के। समय लिया और 15 अगस्त 1945 को आधिकारिक रूप से आत्म समर्पण कर दिया।
और 2 सितंबर 1945 को टोक्यो की खाड़ी मे अमेरिकी युद्धपोत USS Missouri पर आत्मसमर्पंबक दस्तावेजों पर सिग्नेचर किया।
हिंबाकुशा 🧬
परमाणु हमले से पीड़ित लोगों को जापान में हिबाकुशा कहा जाता है जिन्होंने इन हमलों के बाद वर्षों तक कैंसर ♋,skin डिजीज, आंखों की समस्याएं, गर्भपात और मानसिक तनाव झेलना पड़ा।
कई 3बच्चों ने जनजात विकृतियां पाई गई और आज भी यह रेडिएशन अपना दुष्प्रभाव दिखा रहा है।
इस सबके अतिरिक्त मानसिक तनाव ऐसा था कि इन शहरों के लोगों को समाज से निष्कासित किया जाने लगा कि यह रेडिएशन अन्य शहरों तक न फेल सके।
🌍 वैश्विक प्रतिक्रिया
- अमेरिका और उसके सहयोगियों ने इसे युद्ध समाप्त करने वाली युक्ति बताया लेकिन बाद में जब बम पीड़ितों की कहानियां और समस्याएं सामने आई तब दुनिया भर में इसकी आलोचना हुई
- ओपनहाइमर ने इस हमले का बाद खुद को मृत्यु का कारण और संसार का संहारक बताया
- अन्य वैज्ञानिकों ने कहा कि यदि यह शक्ति प्रदर्शन था तो इसे किसी सुनसान स्थान पर किया जा सकता था, सिविलाइज एरिया में नहीं।
- दुनिया भर के धार्मिक नेताओं, मानवअधिकार संगठनों और बुद्धि जीवियों ने इसे नरसंहार बताया, कैथोलिक चर्च, बौद्ध संगठनों और गांधीवादी विचारकों ने इसकी कड़ी आलोचना की।
- इस हमले के बाद सोवियत संघ को खतरा महसूस हुआ और उसने भी अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज़ कर दिया और फिर शीत युद्ध और हथियारों की दौड़ शुरू हुई।
🕊️ जापानी प्रतिक्रिया
- हमले के बाद जापान को समझ नहीं आया कि क्या हुआ, लोगों ने इसे आसमान से आई मौत बताया, जितने लोग बच गए उन्हें मानसिक, शारीरिक और सामाजिक पीड़ा से गुजरना पड़ा।
- वे लोग जो हमले में बच गए उन्हें समाज से बहिष्कृत किया गया, उन्हें रोग फैलाने वाला, अशुभ और कमजोर समझा गया।
- वर्षों तक उन्होंने पीड़ा को मौन रखते हुए सहा लेकिन बाद में यही लोग शांति के प्रचारक बन गए।
- जापान ने अपने संविधान की धारा 9 में युद्ध त्याग की नीति अपनाई और आज भी जापान की आक्रामक सेना नहीं रखता है।
- जापानी लेखकों, कवियों, चित्रकारों और कलाकारों ने इस त्रासदी को अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया।
- शांति आंदोलन और स्मारक के रूप में हिरोशिमा पीस मेमोरियल पार्क 🏞️ , Nagasaki पीस मॉन्यूमेंट जैसे जगहों का विस्तार किया गया।
Conclusion 🏦
हिरोशिमा और नागासाकी पर हुआ हमला केवल जापान के लिए बल्कि पूरी मानवजाति के लिए एक चेतावनी बन कर सामने आया। इस हमले ने युद्ध की विनाशकारी प्रवृति और शक्ति के गलत उपयोग का उदाहरण दिया। पूरी दुनिया में इसके लिए गहरी पीढ़ा रही जिसके बाद दुनिया ने परमाणु शक्ति को लेकर नैतिक और राजनीतिक बहस शुरू की और वहीं जापान ने शांति, सहिष्णुता और पुनर्निर्माण की राह चुनी।
यह एक ऐसी घटना है जो विज्ञान की शक्ति और विनाश के अतिरिक्त मानव जीवन और विकास की ओर बढ़ावा देती है।
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