हाल ही में अपने न्यूज,tv या फिर अन्य किसी माध्यम के के द्वारा SIR का नाम जरूरी ही सुना होगा, आपके मन में भी एक बार ख्याल आया होगा आखिर क्या है यह SIR?
तो आज हम जानेंगे SIR के बारे में,
.क्या है SIR?.बिहार चुनाव के पहले इसकी इतनी चर्चा क्यों है??.इसके साथ ही विपक्ष और SC का इस पर क्या कहना है?
🔍SIR क्या है? और इसकी चर्चा क्यों है?
वर्तमान में बिहार चुनाव के पहले कोई न कोई नई बात सुनने को आ रही है और उसी में से एक है SIR (Special Intensive Revison) जिसे चुनाव आयोग ने चुनाव से पहले बिहार में करने के लिए बोला है यह एक प्रकार का दस्तावेजों के द्वारा वोटर का verification है लेकिन मुद्दा इससे जुड़े नियमों का है जैसे कि आधार कार्ड और राशन कार्ड को SIR के अंतर्गत पहचान और वोटर लिस्ट में शामिल होने के लिए परिपक्व दस्तावेज नहीं माना गया है,
विपक्ष और अन्य दल मानते है जिस आधार कार्ड का सरकार इतना बखान करती आई है उसे अस्वीकार क्यों किया जा रहा है? ऐसा करने से गरीब, पिछड़ा और अनपढ़ लोग अपने मतदाता अधिकार से वंचित हो सकते हैं।
Election commission of India समय समय पर वोटर लिस्ट को अपडेट करती आई है इसके 2 तरीके होते हैं।
1.Annual Summary revision - हर साल (अधिकतर 1 जनवरी) नागरिक अपना नाम जोड़ और हटा सकते हैं या करेक्शन करवा सकते हैं।
2.Special Summary revision - यह प्रक्रिया चुनाव के पहले कुछ खास जिलों या राज्यों में होती है(जैसे नई जनगणना या परिसीमन के बाद)।
📜 कौन-कौन से दस्तावेज मांगे गए? और कौन से अस्वीकार किए?
▪️ स्वीकार्य दस्तावेज 👉 
SIR documents list

- जन्म प्रमाण 1987 के पहले का
- पासपोर्ट
- मैट्रिक या उच्च शिक्षा प्रमाण पत्र
- सरकारी पहचान पत्र या पेंशन ऑर्डर
- स्थाई निवास (डोमिसाइल) प्रमाण पत्र
- वन अधिकार प्रमाण पत्र
- जाति प्रमाण पत्र
- NRC दस्तावेज (यदि लागू हो)
- फैमिली रजिस्टर
- सरकारी जमीन या आवास आवंटन प्रमाण पत्र
- 1987पूर्व जारी सरकारी/PSU पहचान पत्र
▪️ अस्वीकार दस्तावेज 👉
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आधार कार्ड 💳, PAN CARD 💳 और राशन कार्ड 📄 स्वीकार नहीं किए गए क्यों कि इलेक्शन commission का कहना है इनसे निवास की पहचान नहीं होती है,commission ने स्वीकार किया है कि यह सूची संकेतात्मक है।
🗄️🏤 सुप्रीम कोर्ट की 28 और 29 जुलाई की सुनवाई का फैसला 👉
▪️28 जुलाई 2025 को SC ने DRAFT VOTER LIST में रोक नहीं लगाई जिससे प्रक्रिया जारी रहेगी।
▪️ अदालत ने ECI को सलाह दी कि आधारकार्ड,EPIC और राशन कार्ड जैसे पहचान पत्रों को स्वीकार करने पर विचार करे, जबकि ECI ने राशन कार्ड को स्वीकार करने पर आपत्ति जताई।
इसके बाद सुनवाई 29 जुलाई 2025 तक मुल्तवी की गई, अगले दिन यथावत सुनाई हुई
▪️29 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया यदि लगता है कि बड़े पैमाने पर नाम हटाए गए है तो वह हस्तक्षेप करेगा।
▪️ कोर्ट ने 12-13 अगस्त को अगली सुनवाई तय की और याचिकाकर्ताओं को आश्वासन दिया, यदि MASS EXCLUSION हुआ तो अदालत कारवाही करेगी।
🚏आखिर विरोध क्यों?
1.ADR (Association for Democratic Reforms) ने दलील देते हुए कहा कि SIR आदेश मनमाना, समयबद्ध तरीका और पर्याप्त सुरक्षा के बिना अपनाया गया है, जिससे लाखों वोटर इससे बाहर किए जा सकते हैं।
2. आधार,EPIC और राशन कार्ड को स्वीकार नहीं करने पर गरीब, पिछड़ा और हाशिए वाले समुदाय खासकर प्रभावित हो सकते हैं क्यों कि इनके पास दस्तावेजों की कमी रहती है वजह है अशिक्षा और मजदूर वर्ग का होना।
3. विपक्ष का आरोप है SIR का टारगेट पूरे देश में voter suppression blueprint बनना है खासकर मुसलमान, प्रवासी, मजदूर और पिछड़े वर्गों को टारगेट किया जा रहा है।
📦 बिहार SIR DRAFT वोटर लिस्ट: प्रमुख
TOTAL VOTER और FORMS
🔹🔸 बिहार में टोटल पंजीकृत मतदाता (24 जून 2025 तक): लगभग 7.89 करोड़
🔸🔹7.23-7.24 करोड़ मतदाताओं ने enumeration forms जमा किए, लगभग 99.8% कवरेज प्राप्त हुआ।
जिनके नाम हटाए गए
🔹🔸 लगभग 65 लाख नाम संभावित हटाए गए जिनमें मृत, डुप्लीकेट,migrated और पहुंच नहीं हो पाने पर।
🔸🔹22 लाख मृत मतदाता,7 लाख डुप्लीकेट अधिक स्थानों पर पंजीकृत,इसके अतिरिक्त 35-36 लाख मतदाताओं को विस्थापित फिर पता n मिलने पर हटाया गया है।
🔷 पटना में लगभग 3.95लाख और मधुबनी में 3.52 लाख जो कि सबसे अधिक है नाम हटाए गए है, इनके अतिरिक्त ईस्ट चंपारण, गोपालगंज आदि में लगभग 3 लाख नाम हटाए गए।
"इन सब क्रिया प्रक्रिया के चलते और भारी उठा पटक, जल्दबाजी और अभिज्ञान, कम समय में कराई गई EC की प्रक्रिया से आशंकित होके विपक्ष और अन्य राजनीतिक दलों ने EC से स्पष्ट जवाब तलब किए कि इतनी बड़ी संख्या में नाम हटाने की आवश्यकता और प्रक्रिया कैसे सुनिश्चित की गई।'
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